परमार्थ एक गल्प है!

बुद्धि, सद्बुद्धि, प्रज्ञा, आत्मानुभूति, आत्म चेतना, आत्मनिर्भर, आत्मज्ञान, स्थितप्रज्ञा, आदि शब्दों को सुन के ,समझ के आपको क्या लगता है?
कोई बड़ी बात है इनमें ,इसकी बात करने वाला या इसको धारण करने वाला कोई महान व्यक्ति होगा या इन समस्त को धारण करने वाला ईश्वर को जानने वाला व्यक्ति होगा ,या ईश्वर का बहुत प्रिय होगा आदि आदि।
वस्तुतः ये सारा कुछ एक गल्प है या यूँ कहें कि वास्तविकता से इसका कोई लेना देना नहीं है।
यदि फिर भी आपको मेरी इस बात पर यकीन नहीं है तो मैं आपको इसे समझाने का एक और प्रयास करता हूँ!
उपर्युक्त सभी बातें या शब्द मनुष्य के मनोवैज्ञानिक अनुभव हैं अर्थात मानवीय दशा है।इसका पारमार्थिक अध्यात्म से कोई लेना देना नहीं है।
यथार्थ और परमार्थ यदि दो सत्ता हैं तो निश्चित ही विपरीत होंगी।
जैसे स्त्री और पुरूष दोनों के मिलन से जगत की उत्पत्ति संभव है।
इसलिए किसी को किसी से कमतर नहीं कह सकते।यानि कि दोनों ही सत्ता अन्योन्याश्रित हैं अर्थात एक दूसरे के बिना उनका अस्तित्व सम्भव ही नहीं।
मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि यदि यथार्थ परमार्थ को स्वीकार करता है तो परमार्थ यथार्थ को निर्मित करने वाला हो ही नहीं सकता।यदि यथार्थ स्वयं परमार्थ द्वारा निर्मित मान रहा है तो उसकी स्थिति उपर्युक्त अवस्थाओं में आत्मानुभूति के भ्रम की होगी। अब यह भ्रम क्यों कह रहा हूँ?
क्योंकि अनुभूति किसको होती है आत्मा को!
आत्मा को आत्मा की अनुभूति हुई!! यही भ्रम है जैसे कोई कहे मैं भोजन नहीं कर रहा हूँ भोजन मुझे कर रहा है। यह विकार की अवस्था है।
अतः मनुष्य अपने मनोवैज्ञानिक विकास की अवस्था जो अनुभव तथा अन्य सहज क्रियाओं का परिणाम है को व्याख्यायित कर गल्पों में डूबता है तो उसे मोक्ष मिल जाता है।

A. Amaresh

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public speaking skills?

Do you want to become a great leader?

If yes, you need to be a good public speaker.

Why? Public speaking is not only for those who do speaking assignments in front of hundred’s of people, but it is also for every politician .

Every politician uses Public speaking in their daily life’s.
Be it in public meetings, party meetings,in delegation meeting, debates’s pitch or social gathering.

A good public speaker always shines like a diamond.
And it is a learnable skill, I learned it the hard way with my 15 years of experience.

But you don’t have to!

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